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सर्वोदय महाविद्यालय का संक्षिप्त इतिहास

‘सर्वोदय’ की संकल्पना सन 1966 मे पूर्ण विनोबा भावे के भूदान -यज्ञ एवं राष्ट्रपति महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रभावित होकर जनपद बहराइच के सुदूर स्थित अरण्य क्षेत्र मिहींपुरवा में स्वर्गीय श्री वैध विद्या प्रकाश वर्मा एवं स्वर्गीय श्री कन्हैया लाल श्रीवास्तव द्वारा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के रूप में की गई | कालांतर में यह संस्था उच्चीकृत होकर इंटरमीडिएट कालेज के रूप में जनपद बहराइच की सर्वोत्कृष्ट शिक्षण संस्था के रूप में अपनी पहचान बना ली, जिससे इस क्षेत्र का माध्यमिक स्तर पर शिक्षण विकास होने लगा, परन्तु उच्च शिक्षा के क्षेत्र में यह विकास खंड काफी पिछडता चला गया |

सन 1971 ई० में स्वर्गीय श्री कन्हैया लाल श्रीवास्तव द्वारा अग्रणी कदम उठाए भी गया, परंतु आपसी खींचतान एवं स्थानीय राजनीति के चलते महाविद्यालय की स्थापना इस क्षेत्र में नहीं हो पाई | सबसे अधिक समस्या बालिकाओं के लिए थी जो इंटरमीडिएट तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद प्राइस छोड़कर घर बैठ जाती थी, या तो उंहें यहां पर 70 किलोमीटर की दूरी पर उच्च शिक्षा हेतु जाना पड़ता था जो की बहुत ही दुस्तर एवं कठिन कार्य था | बदलते मापदंड के अनुरुप नई पीढ़ी की सोच में परिवर्तन हुआ और सर्वोदय इंटर कॉलेज की बागडोर प्रबंधक के रुप में माननीय परमहंस जी मदेशिया ने संभाली | पुनः इस संस्था के उनके क्रियात्मक सोच एवं दूरदर्शिता के चलते अधिक विस्तार प्राप्त किया, साथ ही उन्होंने इस विकास खंड में महाविद्यालय की स्थापना का दीवास्वपन देखना प्रारंभ किया और दैव संयोग से मेरी मुलाकात हुई, मैंने भी अपने सोच को जागृत किया, कि इस क्षेत्र में महाविद्यालय की स्थापना की जाये जिससे इस विकास खंड का शैक्षिक विकास की गति से हो सके, उन्होंने विचार का स्वागत करते हुए तन मन धन से सहयोग करने का आश्वासन दिया | इस तरह एक और एक मिलकर ग्यारह की संज्ञा साकार की गई |

तदुपरांत 24 जून सन 2004 दिन बृहस्पतिवार को 3:00 बजे सर्वोदय कोचिंग कॉलेज के रूप में महाविद्यालय की स्थापना का श्री गणेश कर दिया गया | परन्तु इतना जल्दी इतने बड़े सामाजिक कार्य को मूर्त रुप देने के लिए बड़ी अपेक्षाओं की आवश्यकता थी, जो कि एक चुनौतीपूर्ण कार्य था |

महाविद्यालय के स्वरूप को साकार करने के लिए भूमि एवं भवन की आवश्यकता थी | इसके लिए सर्वोदय इंटर कॉलेज के प्रबंधक एवं प्रबंधन समिति के सदस्यों से वार्ता की गई, उन लोगों ने मेरी बात को सहर्ष स्वीकार कर, महाविद्यालय की स्थापना हेतु इंटरमीडिएट कॉलेज की आवश्यकता से अधिक पड़ी भूमि (परवानी गौढ़ी स्थित 2.187 हेक्टेयर) को सर्वोदय महाविद्यालय के पक्ष में अन्तरित कर, संयुक्त शिक्षा निदेशक देवीपाटन मंडल से अनुमोदन करा दिया | भवन निर्माण हेतु मिहींपुरवा क्षेत्र के संभ्रात एवं सम्मानित माननीय श्री परमहंस मदेशिया अपने निकटस्थ सहयोगियों श्री गोविंद प्रसाद अग्रवाल, डॉक्टर छोटे लाल गुप्ता, श्री राम गोपाल मदेशिया एवं स्वर्गीय प्रमोद शर्मा जी के साथ आगे आए और देखते ही देखते विकास खंड मिहींपुरवा के समस्त ग्राम प्रधान / क्षेत्र पंचायत सदस्यों का सहयोग बरस पडा, जिसमें मुख्य भूमिका तत्कालीन विकास खंड अधिकारी श्री राजेश त्रिपाठी की रही| इस तरह सब के सहयोग से महाविद्यालय में 40x25 फुट के छ: व्याख्यान कक्ष 25x20 फुट के 2 सहायक कक्ष, 150x15 फुट बरामदा, 4 शौचालय एवं पोर्टिको का निर्माण सफल हो गया | प्रशासनिक कक्ष के निर्माण हेतु तत्कालीन विधायक माननीय श्री जटाशंकर सिंह जी से अनुरोध किया गया, उन्होंने इस अनुरोध को स्वीकार कर स्वर्गीय ठाकुर पारस नाथ सिंह प्रशासनिक कक्ष का विधायक निधि से निर्माण करा दिया जिसमे पुस्तकालय, वाचनालय, कार्यालय, प्राचर्य कक्ष, विश्राम कक्ष, 6 शौचालय आदि सम्मिलित है | इस तरह महाविद्यालय भौतिक अस्तित्व में आ गया | इस दौरान कई ऐसे अवसर भी आये जब यह लग रहा था , कि महाविद्यालय की स्थापना संभव नहीं हो पायेगी, कई लोगों का उपहास पात्र भी बनना पड़ा | स्वयं क्षेत्र की ही राक्षसी वृत्ति के लोगो ने अवरोध उपत्पन्न किया, परन्तु संकल्प दृढ था , और मा0 संस्थापक/ प्रबन्धक श्री परमहंस जी का सानिध्य, अनवरत एक दुसरे पर पूर्ण विश्वास के साथ मिलता रहा, जिसकी प्रेरणा निम्न पंक्तियां देती रहीं :-

“ वह पथ क्या? पथिक कुशलता क्या ?
जिस पथ में बिखरे शूल न हो,
नाविक की धैर्य परीक्षा क्या ?
यदि धाराए प्रतिकूल न हो |”

दिनांक 26-10-2006 को महामहिम कुलाधिपति महोदय ने सर्वोदय महाविद्यालय को डॉ० राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या से स्नातक स्तर पर चार विषयों के साथ सम्बद्ध करा दिया तथा 30 सितंबर 2009 को बी.ए. की स्थाई संबद्धता प्राप्त की गई | भविष्य में बीकॉम, बीएससी एवं परास्नातक कक्षाओं के संचालन हेतु अवस्थापना सुविधाएं जुटाईं जा रही है , शीघ्र ही सम्बद्धन की प्रक्रिया पूर्ण हो जाये, ईश्वर से यही प्रार्थना है |

मैं, अपने निकटस्थ सहयोगियों का भी विशेष रूप से आभारी हुं, जिन्होंने मेरे साथ समय दान दिया |

मैं, मानवीय गुलशन जहाँ वर्तमान अध्यक्ष जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत प्रमुख श्री श्रवण कुमार मदेशिया का भी आभार व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने निर्माण कार्य में सहयोग प्रदान किया |

महाविद्यालय की स्थापना से जुड़े क्षेत्र पंचायत प्रमुख बलहा श्री जय शंकर सिंह को भी धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने अपना अमूल्य समय देकर महाविद्यालय का निर्माण कब पूरा कराया |

मै, महाविद्यालय की स्थापना में, अपने गुरुजनों डॉक्टर गया प्रसाद सिंह (रीडर प्राचीन इतिहास ग0 वि० रिसिया), डॉक्टर रवि कुमार टंडन (रीडर वाणिज्य ग0 वि० रिसिया) डॉक्टर गणेश प्रसाद विश्वकर्मा(रीडर रा० शा० ग0 वि० रिसिया) एवं डॉक्टर बाबू राम शर्मा (प्राचार्य रसिया) का भी विशेष आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने अपने अधिकारों के प्रति उत्साह वर्धन करते रहे |

इस महाविद्यालय की स्थापना में परिचित, अपरिचित, इस्ट-मित्र, गुरुजन लघुजन एवम मिहींपुरवा के समस्त शुभेच्छु नागरिको तथा अध्यापक अभिभावक एसोसिएशन, सर्वोदय इंटर कॉलेज मिहींपुरवा को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने इस महाविद्यालय में जाने अनजाने सहयोग किया है, उनकी ओर से महाविद्यालय हमेशा कृतज्ञ रहेगा |

मैं उस अदृश्य शक्ति का नमन करता हूं जिन्होंने इस सामाजिक कार्य करने की प्रेरणा मेरे अंत:स्थल में प्रदान की |

डा० संजय कुमार श्रीवास्तव
एम.ए. (दर्शन शास्त्र), एम. काम., बी.एड. पी.एच.डी.
संस्थापक – प्राचार्य
Mob. No. : 9450257922, 9919825137